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28 जून 2011

एक और जनांदोलन....................Right to recall

      एक और जनांदोलन जन्म लेने को है .......  
               Right to recall              



सबसे अहम बात जो सामने निकल कर आई वो ये कि इन और इन जैसे तमाम प्रयासों के साथ जिस तरह का सलूक सरकार और उसके मंत्रियोंने किया या अब भी कर रहे हैं और उससे भी बडी बात कि जिस तरह का घोर उपेक्षित रवैय्या , प्रधानमंत्री , यूपीए अध्यक्षा , और तेज़ तर्रार महासचिव और युवा लोगों में खासे लोकप्रिय माने जाने वाले युवा नेता ने अपना रखा है उससे तो स्थिति और स्पष्ट हो गई है आम जनता के सामने । जनलोकपाल बिल और विदेशों में छिपे काले धन के बिल को लाए जाने के दबाव को बेशक सरकार कुछ दिनों के लिए टला हुआ मान रही हो, लेकिन ऐसा है नहीं वास्तव में । बल्कि अब तो ये साफ़ हो गया है कि सरकार को अपना वजूद और सत्ता को बचाए रखने के लिए दो में से एक रास्ता चुनना होगा । भ्रष्टाचार के पाले में खुद को रखें या फ़िर कि जनता द्वारा मांगे जा रहे कानूनी अधिकारों को बना कर उनके साथ रहें । सरकार को ये ध्यान में रखना चाहिए कि , जनलोकपाल बिल, विदेशों मे छिपे काले धन को वापस लाने के लिए कानून और राईट टू रिकॉल यानि प्रतिनिधि वापस बुलाओ कानून , जैसे नियम और अधिकार जनता ने अपने किसी फ़ायदे के लिए नहीं मांगे हैं , ये उसी लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए बहुत जरूरी है जिसकी रक्षा करने का दावा , इनका पुरज़ोर विरोध करने वाले राजनेता दशकों से करते आए हैं । अब वक्त आ गया है कि जनता सरकार की आंखों में आंखें डाल के पूछे कि बताओ , ये कानून क्यों नहीं बन सकता , और कब कैसे बनेगा ?इस मुहिम को एक और अस्त्र देते हुए हमने एक नई लडाई की योजना बनाई है - Right to recall - यानि जनप्रतिनिधि वापस बुलाओ कानून । सीधे सरल शब्दों में समझा जाए तो राजनेताओं सेीक बार चुनाव जीत कर,उन कुर्सियों पर बैठे रहने का अधिकार छीन लेना जिन्हें पाते ही वे सत्ता के मद में न सिर्फ़ चूर हो जाते हैं बल्कि देश , समाज और कानून से भी बहुत दूर हो जाते हैं । आज राजनेताओं के लिए राजनीति समाज सेवा नहीं बल्कि विशुद्ध मुनाफ़े वाला कारोबार मात्र बन कर रह गया है । अब आकलन विश्लेषण किया जाता है कि यदि छोटे स्तर पर चुनाव जीतने में पैसा लगाया जाए तो कितना मुनाफ़ा होगा और बडे स्तर पर कितना , कारण एक सिर्फ़ एक , एक बार कुर्सी मिल जाए बस । तो क्यों न उनके सरों पर एक अनिश्चितता की ऐसी तलवार टांगी जाए कि जिसकी धार उसे अपने कर्तव्य को न भूलने के लिए विवश कर सके । इसी उद्देश्य के साथ फ़ेसबुक पर एक समूह का गठन किया गया है   ..Right to recall;   यहां ये जानना समीचीन होगा कि इस कानून को अमेरिका के अठारह राज्यों में मान्यता मिली हुई है अब तक दो राज्यों की सरकार इस अधिकार के उपयोग से जनता ने गिरा दी । भारत में भी कई स्तरों पर मध्यप्रदेश , और छत्तीसगढ जैसे राज्यों में इसे सफ़लतापूर्वक आजमाया जा चुका है ।

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