कुल पेज दृश्य

28 जून 2011

शहीदों की चिताओं पर ....नहीं लगते हैं अब मेले

शहीदों की चिताओं पर ....नहीं लगते हैं अब मेले
from भड़ास blog by Ajit Singh Taimur
दोस्तों आज 28 जून है ....हम लोगों के लिए एक और सामान्य सा दिन ........ आज सुबह सो कर उठे तो बूंदा बंदी हो रही थी ........बारिश की सुबह कितनी रोमांटिक होती है .........अपनी पत्नी के साथ आज बालकनी में बैठ के चाय पीते हुए अखबार देख रहा था ......दो दो अखबार देख डाले ........कहीं कोई ज़िक्र नहीं था ....कल टीवी पे सारे news channels खंगाले ....कुछ नहीं था .....हिन्दुस्तान gas और diesel के दामों में उलझा हुआ है ..........मेरी पत्नी मेरे भावों को पढ़ लेती है ........... उसने पूछा क्या हुआ .....अचानक इतने serious क्यों हो गए ..........मैंने कहा कितनी रोमांटिक लगती है न ये बूंदा बांदी .....बारिश की ये फुहार .........उस दिन भी हलकी बूंदा बांदी हो रही थी ....जब वो लोग .....उस रात अपने घर आखिरी ख़त लिख रहे थे ..........आज से 12 साल पहले ......सब 20 से 25 के बीच थे .......यानी मेरे बेटे से सिर्फ 2 -3 साल बड़े .........मेरा बेटा तो मुझे बच्चा लगता है अभी..... आखिर 20 - 22 साल भी कोई उम्र होती है जान देने की ........
दोस्तों शहादत दिवस है आज .........major P P Acharya ,Capt kenguruse और Capt Vijayant Thaapar ....सिपाही जगमाल सिंह और नायक तिलक सिंह का ....12 साल पहले आज की रात वो सब शहीद हुए थे वहां दूर .....drass में ....knoll नामक चोटी को फतह करते हुए .........कारगिल युद्ध में .........27 जून को एक पूरी प्लाटून शहीद हो गयी थी उसी चोटी पर .........शाम की roll call खुद commanding officer ..... colonel M B Ravindra naathan ने ली ...........वहां ये बताया की आज हमारी पूरी प्लाटून शहीद हो गए knoll पर .......सबने 2 मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी .........फिर colonel ने कहा ......कल के assault में जो जाना चाहता है ...एक कदम आगे आयेगा ....बाकी अपनी जगह खड़े रहेंगे ...........पूरी regiment एक कदम आगे आ गयी .......तब major आचार्य ने कहा की कल A कंपनी ने assault किया था .......आज B कंपनी करेगी .......और फिर उन्होंने अपनी टीम बनाई .........और कहा की चूंकि मैं कंपनी कमांडर हूँ इसलिए मैं लीड करूँगा .........उनकी टीम में 12 लोग थे...... अगले दिन सुबह निकलना था .....उस रात सबने अपने घर चिट्ठी लिखी .....major आचार्य ने भी लिखा था ....अपने पिता को .......हतॊ वा पराप्स्यसि सवर्गं जित्वा वा भॊक्ष्यसे महीम.........तस्माद उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः......गीता का ये श्लोक quote किया था ..........उस रात वो लोग जानते थे की लौट कर नहीं आयेंगे .............और नहीं आये ......capt थापर ने जो पत्र अपने घर लिखा था ....उस पर मैं पहले ये लेख .....http://akelachana.blogspot.com/2011/03/chief-of-army-staff.html लिख चुका हूँ ...........उन्होंने भी लिखा था की जब तक ये पत्र आप लोगों को मिलेगा ...मैं वहां अप्सराओं के बीच स्वर्ग का सुख भोग रहा होऊंगा ......... वो जानते थे की लौट के नहीं आएंगे ..........फिर भी गए .......उस रात हलकी बूंदा बांदी हो रही थी .........पर अगली सुबह मौसम साफ़ था एकदम ...और उस रात जब उन्होंने चढ़ना शुरू किया ................full moon night थी .......full moon night भी रोमांटिक लगती है कुछ लोगों को ............चाँद आसमान में चमक रहा था ........रात में भी सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था ..........हमें भी और दुश्मन को भी .........भयंकर गोला बारी हो रही थी .....सबसे आगे major आचार्य थे ......वही सबसे पहले शहीद हुए .....फिर सिपाही जगमाल सिंह ........वो अर्दली था capt थापर का ......major आचार्य ने उसे अपनी टीम में चुना नहीं था .....उस रात जब उसे पता चला की उसे नहीं चुना गया है तो वो खुद major आचार्य के टेंट में गया .......अगर मेरे साहब जायेंगे ....(यानी capt थापर) ......तो मैं भी जाऊंगा .......वो capt थापर से पहले शहीद हुआ उस रात .........उनकी बाहों में .........२२ साल उम्र थी उसकी ......आजकल इस उम्र के लड़के सारी रात अपनी girl friends को SMS भेजने में बिता देते हैं .......उनमे एक capt kenguruse था ....25 साल का .....वो नागा था ....नागालैंड का .......सुना है नागालैंड में लोग नफरत करते हैं ....हिन्दुस्तान से और हिन्दुस्तानी फ़ौज से ........graduation के बाद सरकारी स्कूल में teacher हो गया था ........दो साल मास्टरी की भी ......फिर बोला फ़ौज में जाऊंगा ........हिन्दुस्तानी फ़ौज में ....उस फ़ौज में जिससे उसका समाज नफरत करता है ...दिल से ......उस रात एक LMG चढ़ानी थी ऊपर .....बहुत फिसलन थी उस नंगे पहाड़ पे ......उस कडकडाती ठण्ड में ........अपने जूते उतार दिए उसने ......जिससे की पैरों को अच्छी पकड़ मिले चट्टानों पे .......सबसे पहले ऊपर चढ़ा, चोटी पे .........नंगे पाँव...... फिर कमर में बंधी रस्सी से अकेले दम वो LMG ऊपर खींची ......मरियल सा था ....मुश्कल से 50 किलो का .......5 फुट दो इंच का .......फिर उसी रस्सी को पकड़ के पूरी प्लाटून ऊपर आयी .....वहां दो पाकिस्तानी rifle से मारे और एक को अपनी उस नागा खुकरी से .....hand to hand combat में .......एकदम नज़दीक एक हथगोला फटा ...पेट में splinter लगा .......उस खड़े पहाड़ से 100 फुट नीचे गिरा .....वहां शहादत हुई .......capt थापर को बाईं आँख में गोली लगी थी ........जब body घर पहुंची तो चश्मा पहना दिया था ......दाढ़ी बढ़ी हुई थी .....6 फुट 1 इंच height थी .......इतना सजीला और ख़ूबसूरत जवान अपनी जिंदगी में नहीं देखा मैंने ............शहादत से दो दिन पहले का फोटो है उसी दाढ़ी में ........अगर फ़ौज में न होता तो मॉडल होता ....या फिर फिल्म स्टार .....24 साल की उम्र में शहादत दे दी ......वो जो आखिरी चिट्ठी लिखी उसने अपने माँ बाप को ...उसमें भी सब कुछ दे गयादेश को ......मरने के बाद भी ...........निकाल लेना सारे अंग ....फूंकने से पहले .....ताकि काम आ सकें किसी के .......
आज सुबह के अखबार देख के बहुत दुःख हुआ ..........इतनी जल्दी भुला दिया इस अहसान फरामोश मुल्क ने ..........पूरे देश में चर्चा है आज ........ऐश्वर्या राय pregnent हो गयी है .......major आचार्य की बीवी भी pregnent थी .........जब उसका पति शहीद हुआ .........तीन महीने बाद जन्मी वो बच्ची ...........क्या सोच रही होगी वो लड़की आज के अखबार देख के ...........उस रात .......उस खड़ी चट्टान से 100 फुट नीचे गिर कर ......ज़िदगी के उन आखिरी क्षणों में .....मरने से पहले .....क्या कुछ सोचा होगा उस नागा लड़के ने ..........संवेदना शून्य हो जाता होगा ऐसी स्थिति में दिमाग आदमी का ........आज जैसे हमारा हो गया है ....जीते जागते भी .........वो लड़के उस रात अच्छी तरह जानते थे की वापस नहीं आयेंगे लौट के .....फिर भी गए .....क्या जज्बा होता होगा .......देश के प्रति ......क्या सोच के गए होंगे .........क्यों पैदा नहीं होता वो जज्बा हम लोगों में ....अपने देश के प्रति ......
सलाम है ....कारगिल शहीदों के उस जज्बे को ............13 july को capt विक्रम बत्रा का शहीदी दिवस है ....पूर्व में एक लेख उनपे भी लिख चूका हूँ ......http://akelachana.blogspot.com/2011/03/r.html ......इस बार 13 जुलाई को उनके घर पालम पुर जाने का विचार है ........ सुना था की ...शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ....वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा ...........अब तो कमबख्त वो मेले लगने भी बंद हो गए .....upa सरकार कारगिल विजय की बरसी नहीं मनाती .......चलो हम ही मना लें ......


Front Page: Hkkjr dk ,dek= lfØ; Tokykeq[kh

Front Page: Hkkjr dk ,dek= lfØ; Tokykeq[kh: "cSju }hi iksVZ Cys;j ls 135 fd-eh- nwjh ij fLFkr ;g }hi Hkkjr dk ,dek= lfØ; Tokykeq[kh }hi gS A ;g }hi yx..."

Hkkjr dk ,dek= lfØ; Tokykeq[kh


cSju }hi
iksVZ Cys;j ls 135 fd-eh- nwjh ij fLFkr ;g }hi Hkkjr dk ,dek= lfØ; Tokykeq[kh }hi gS A ;g }hi yxHkx 3 fd-eh- {ks= esa QSyk gS vkSj blds cM+s Tokykeq[kh gS vkSj tks leqnz ls foLQksfVr gksrk \gS A ;g leqnzh rV ls vk/kk fdyks ehVj nwjh ij gS vkSj bldh xgjkbZ 150 QSne gS A


jai baba ki


एक और जनांदोलन....................Right to recall

      एक और जनांदोलन जन्म लेने को है .......  
               Right to recall              



सबसे अहम बात जो सामने निकल कर आई वो ये कि इन और इन जैसे तमाम प्रयासों के साथ जिस तरह का सलूक सरकार और उसके मंत्रियोंने किया या अब भी कर रहे हैं और उससे भी बडी बात कि जिस तरह का घोर उपेक्षित रवैय्या , प्रधानमंत्री , यूपीए अध्यक्षा , और तेज़ तर्रार महासचिव और युवा लोगों में खासे लोकप्रिय माने जाने वाले युवा नेता ने अपना रखा है उससे तो स्थिति और स्पष्ट हो गई है आम जनता के सामने । जनलोकपाल बिल और विदेशों में छिपे काले धन के बिल को लाए जाने के दबाव को बेशक सरकार कुछ दिनों के लिए टला हुआ मान रही हो, लेकिन ऐसा है नहीं वास्तव में । बल्कि अब तो ये साफ़ हो गया है कि सरकार को अपना वजूद और सत्ता को बचाए रखने के लिए दो में से एक रास्ता चुनना होगा । भ्रष्टाचार के पाले में खुद को रखें या फ़िर कि जनता द्वारा मांगे जा रहे कानूनी अधिकारों को बना कर उनके साथ रहें । सरकार को ये ध्यान में रखना चाहिए कि , जनलोकपाल बिल, विदेशों मे छिपे काले धन को वापस लाने के लिए कानून और राईट टू रिकॉल यानि प्रतिनिधि वापस बुलाओ कानून , जैसे नियम और अधिकार जनता ने अपने किसी फ़ायदे के लिए नहीं मांगे हैं , ये उसी लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए बहुत जरूरी है जिसकी रक्षा करने का दावा , इनका पुरज़ोर विरोध करने वाले राजनेता दशकों से करते आए हैं । अब वक्त आ गया है कि जनता सरकार की आंखों में आंखें डाल के पूछे कि बताओ , ये कानून क्यों नहीं बन सकता , और कब कैसे बनेगा ?इस मुहिम को एक और अस्त्र देते हुए हमने एक नई लडाई की योजना बनाई है - Right to recall - यानि जनप्रतिनिधि वापस बुलाओ कानून । सीधे सरल शब्दों में समझा जाए तो राजनेताओं सेीक बार चुनाव जीत कर,उन कुर्सियों पर बैठे रहने का अधिकार छीन लेना जिन्हें पाते ही वे सत्ता के मद में न सिर्फ़ चूर हो जाते हैं बल्कि देश , समाज और कानून से भी बहुत दूर हो जाते हैं । आज राजनेताओं के लिए राजनीति समाज सेवा नहीं बल्कि विशुद्ध मुनाफ़े वाला कारोबार मात्र बन कर रह गया है । अब आकलन विश्लेषण किया जाता है कि यदि छोटे स्तर पर चुनाव जीतने में पैसा लगाया जाए तो कितना मुनाफ़ा होगा और बडे स्तर पर कितना , कारण एक सिर्फ़ एक , एक बार कुर्सी मिल जाए बस । तो क्यों न उनके सरों पर एक अनिश्चितता की ऐसी तलवार टांगी जाए कि जिसकी धार उसे अपने कर्तव्य को न भूलने के लिए विवश कर सके । इसी उद्देश्य के साथ फ़ेसबुक पर एक समूह का गठन किया गया है   ..Right to recall;   यहां ये जानना समीचीन होगा कि इस कानून को अमेरिका के अठारह राज्यों में मान्यता मिली हुई है अब तक दो राज्यों की सरकार इस अधिकार के उपयोग से जनता ने गिरा दी । भारत में भी कई स्तरों पर मध्यप्रदेश , और छत्तीसगढ जैसे राज्यों में इसे सफ़लतापूर्वक आजमाया जा चुका है ।

जैसी भावना..

जैसी रही भावना जिसकी


एक प्रसिद्द वेश्यालय था, जो किसी मंदिर के सामने ही स्थित था. वेश्यालय में नित्य प्रति गायन-वादन-नृत्य आदि होता रहता था, जो की वह वेश्या अपने ग्राहकों की प्रसन्नता के लिए प्रस्तुत करती थी और बदले में बहुत सारा धन व कीमती उपहार उनसे प्राप्त करती थी. इस प्रकार उसकी समस्त भौतिक इच्छाएं तो पूर्ण थी, लेकिन कठोर मनुवादी व्यवस्था के अंतर्गत उसका मंदिर में प्रवेश वर्जित था और उसे वहां पूजा-पाठ आदि करने की अनुमति नहीं थी.वेश्यालय में तो उसे ग्राहकों से ही फुर्सत नहीं थी, कि वह किसी प्रकार देव पूजन संपन्न कर सकें. उसके मन में एक ही इच्छा शेष रह गयी थी, कि वह किसी प्रकार देव पूजन संपन्न कर सकें. उसके मन में एक ही इच्छा शेष रह गयी थी, कि वह किसी प्रकार मंदिर में स्थापित देव मूर्ति का दर्शन कर ले और धीरे-धीरे समय के साथ उसकी यह इच्छा एक प्रकार की व्याकुलता में बदल गयी. जब मंदिर में आरती के समय बजने वाली घंटियों की आवाज उसके कानों में पड़ती, तो वह अत्यंत व्यग्र हो उठती, उसका हृदय रूदन कर उठता और भगवान् दर्शन की उत्कंठा उसके नेत्रों से बरसने लगती. वेश्या के गायन-नृत्य आदि की स्वर लहरिया मंदिर तक भी पहुंचती थी. मंदिर का पुजारी कभी तो अत्यंत क्रोधित होता, कि उस नीच कर्मों में रत स्त्री की आवाज़ से मंदिर के वातावरण की पवित्रता में विघ्न उपस्थित हो रहा हैं और कभी वासना के वशीभूत उसी वेश्या के आगोश में पहुँच कर उसके रूप-रस का पान करने की कल्पना में डूब जाता, लेकिन मनुवादी स्समजिक मर्यादा के कारन ऐसा संभव नहीं था.संयोगवश उस वेश्या और पुजारी, दोनों की मृत्यु एक ही समय हुयी. यमराज उस पुजारी को नरक के द्वार पर छोड़ कर वेश्या को स्वर्ग की और ले जाने लगे.पुजारी को इस पर बहुत क्रोध आया और उसने यमराज से पूछा – “मैं जीवन भर मंदिर में देव मूर्तियों का पूजन करता रहा, फिर भी मुझे नरक में जगह दी जा रही हैं और यह वेश्या जीवन भर पाप कर्मों में लिप्त रही, फिर भी इसे स्वर्ग ले जाया जा रहा हैं. ऐसा क्यों? यमराज ने उत्तर दिया – “देव मूर्तियों की पूजा करते हुए भी तुम्हारा चित्त सदा इस वेश्या में ही लगा रहा, जबकि पाप कर्मों में लिप्त रहते हुए भी इसका चित्त देव मूर्ति में ही लगा रहा. यही वजह हैं, कि इसे स्वर्ग मिल रहा हैं और तुम्हें नरक.”वस्तुतः कर्म के साथ विचारों का भी जीवन में अत्यधिक महत्त्व हैं. जब तक चित्त वेश्यागामी रहेगा (अर्थात भौतिक भोगों में लिप्त रहेगा), तब तक देव पूजन, जप, साधना आदि के उपरांत भी स्वर्ग (अर्थात देवत्व. श्रेष्ठता, सफलता, पूर्णता) की प्राप्ति संभव नहीं हैं.
\किसी साधना आदि में असफलता प्राप्त होने के पीछे कारन ही यही होता हैं, कि कहीं न कहीं उसके विश्वास, श्रद्धा, समर्पण आदि में न्यूनता रहती हैं एवं चित्त साधनात्मक चिंतन से न्यून हो कर भोगेच्छाओं में लिप्त होता हैं अतः साधक का यह पहला कर्त्तव्य हैं, कि वह प्रतिक्षण गुरु या इष्ट चिंतन करता हुआ, मन को नियंत्रित करें, तभी श्रेष्ठता की और अग्रसर होने की क्रिया संभव हो पायेगी.