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02 अगस्त 2011

आँखे नम हो जाती है

  हिंदुस्तान के कई वीरो ने अपनी धरती माँ की सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी ,उन के बारे में जब भी चिंतन किया जाता है तो आँखे नम हो जाती है , इन वीरो को ये नहीं पता था की जिस देश के लिए हम जान दे रहे है उस देश में नेता के नाम पर चोर भर जायेंगे , उन शहीदों की आत्मा आज भी इस देश को देख कर तडपती होगी ,सोचता होगा भगत सिंह की किन लोगो के लिए मैंने अपने प्राण गवा दिए जिन को आपस में लड़ने से फुर्सत नहीं है वो देश का भला क्या करेंगे ,जो अपना घर भरने में लगे हो वो देश की चिंता क्यों करेंगे ,
सहादत अनमोल है इसका मोल मत लगाइए 
शहीदों की अमर गाथा को कमजोर मत बनाइये 
हमने नहीं माँगा कोई मोल सहादत का 
सहादत को इस दुनिया में मखोल मत बनाइये  
जय हिंद .............


उन्हें यह फ़िक्र है हरदम नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है

हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें,चर्ख से क्यों ग़िला करें

सारा जहाँ अदू सही,आओ! मुक़ाबला करें
मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे;
 
मेरा रँग दे बसन्ती चोला, माय रँग दे बसन्ती 
 
चोला।।