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08 जून 2011

टूटेगा एक दिन यह माटी का भगोना

हँसना है रोना है
जिन्दगी एक खिलौना है
टूटेगा यह एक दिन
माटी का यह भगोना है
कितने प्यार से बनाया
कुम्हार ने इसे
मगर है तो खिलौना है
रंग भरे चाहत के इसमें
खुब इसे पकाया
वक़्त से पहले टूटे ना
खुद टूट इसे बचाया
काहें का अभिमान
क्या अपना यहाँ समान
फिर साथ क्या ढोना है
टूटेगा यह एक दिन
जिन्दगी एक खिलौना है
भर भाव ठंडक के
शीतल बन भुझा प्यास
मुसाफिर है भगोना है
टूटना मुझे भी एक दिन
''पवन'' भी तो खिलौना है
                                              ------पवन अरोड़ा------

पतंजलि योगपीठ फेज १ और फेज २ को सील

अभी अभी यह सूचना मिली है कि
पतंजलि योगपीठ फेज १ और फेज २ को सील कर दिया गया है। न तो किसी को अंदर
आने दिया जा रहा है और ना ही बाहर आने दिया जा रहा है। मीडिया को इस विषय
में जानकारी नही है। तेजी से इस खबर को फैलाएं।



इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ.
सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ.
जो ना समझ सके, उनके लिये “कौन”.
जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.
दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा.
सबसे नशीला और बदनाम शराब हूँ.
सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको.
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ.
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे.
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ

हरिवंशराय बच्‍चन की एक कविता