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08 जून 2011

टूटेगा एक दिन यह माटी का भगोना

हँसना है रोना है
जिन्दगी एक खिलौना है
टूटेगा यह एक दिन
माटी का यह भगोना है
कितने प्यार से बनाया
कुम्हार ने इसे
मगर है तो खिलौना है
रंग भरे चाहत के इसमें
खुब इसे पकाया
वक़्त से पहले टूटे ना
खुद टूट इसे बचाया
काहें का अभिमान
क्या अपना यहाँ समान
फिर साथ क्या ढोना है
टूटेगा यह एक दिन
जिन्दगी एक खिलौना है
भर भाव ठंडक के
शीतल बन भुझा प्यास
मुसाफिर है भगोना है
टूटना मुझे भी एक दिन
''पवन'' भी तो खिलौना है
                                              ------पवन अरोड़ा------

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