उच्च शिक्षा के लिए लोन लेना है तो कुछ जरूरी बातें जानना आपके लिए जरूरी है।
पात्रता : वह विद्यार्थी एजुकेशन लोन लेने का पात्र है जो भारतीय नागरिक हो अपना दाखिला पक्का कर चुका हो।
किन कोर्स के लिए मिलेगा लोन : भारत या विदेशों की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी के सभी अंडर ग्रेजुएट कोर्स, पोस्ट ग्रेजुएट, डिस्टेंस लर्निंग या प्रोफेशनल कोर्र्सो के लिए लोन मिल सकता है।
अधिकतम कितना लोन मिलेगा
और कैसे : भारत और विदेशों में पढ़ाई के लिए क्रमश: 10 लाख व 20 लाख तक का लोन मिल सकता है। 4 लाख तक के लोन के लिए किसी सिक्युरिटी की जरूरत नहीं है। 7.5 लाख रुपए से ज्यादा के लोन के लिए कोलैट्रल सिक्युरिटी जरूरी होगी।
लोन में क्या कवर होता है और कैसे : कालेज की फीस, होस्टल चार्ज, परीक्षा, प्रयोगशाला व लाइब्रेरी का शुल्क। कोर्स के लिए जरूरी सभी एजूकेशनल आर्टिकल की खरीद का खर्च भी इसमें कवर होता है। यात्रा खर्च और कंप्यूटर खरीदने के लिए भी विद्यार्थी को पैसे दिए जाते हैं। आम तौर पर जब भी जरूरत होती है तब बैंक डिमांड ड्राफ्ट को सीधे यूनिवर्सिटी को भेज देती है।
ब्याज दर और वापसी : लोन की ब्याज दर अलग-अलग बैंक के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। हालांकि ब्याज दर 10 प्रतिशत से 12.50 प्रतिशत के बीच होगी। एसबीआई की ब्याज दर 11.25 प्रतिशत है और अभ्युदय बैंक की ब्याज दर 10.5 प्रतिशत है। कर्जदाता नौकरी मिलने के 6 महीने या कोर्स पूरा होने के एक साल बाद लोन चुकाना शुरू कर सकते हैं। लोन को 5 से 7 साल की अवधि में चुकाया जा सकता है।
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09 नवंबर 2010
mera bharat
चीन ने भी माना, भारत उसे पछाड़ सकता है
Source: बिजनेस ब्यूरो | Last Updated 13:56(09/11/10)
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इससे पहले
* पैकेज घोषित नहीं मगर चीन को 8प्रतिशत विकास का भरोसा
* विकास दर में चीन को पीछे छोड़ सकता है भारत
* चीन में सरकार को 9.5फीसदी विकास दर का भरोसा
पिछले कुछ दिनों के दौरान ऐसी तमाम रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें यह कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों में चीन से आगे निकल जाएगी। और अब चीन चीन को भी यह लगने लगा है कि वाकई ऐसा हो सकता है। चीन सरकार के प्रमुख नीतिगत अनुसंधान संस्थान डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर के उप निदेशक लियु शिनजिन ने ये कहा है कि विकास दर के मामले में भारत चीन को पछाड़ सकता है। लियु ने चिंता जताते हुए कहा कि उनके देश की विकास दर तीन से पांच साल में मौजूदा 10 से घटकर 7 फीसदी तक आ सकती है। वहीं इस दौरान भारत की विकास दर बढ़कर 9 फीसदी से ऊपर निकल जाएगी।
विश्व बैंक, मोर्गन स्टैनले समेत कई एजेंसियां भारतीय विकास दर के आगे निकलने का दावा पहले से ही कर रही हैं।
चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने लियु के हवाले से आगाह किया है कि अमेरिका में कर्ज सस्ता करने के फेडरल रिजर्व के ताजा कदमों से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई का दबाव बढे़गा। इससे आने वाले समय में चीन को आर्थिक वृद्धि में गिरावट सहनी होगी। फेडरल रिजर्व 600 अरब डॉलर के सरकारी बांड खरीद कर बैंकों के पास कर्ज देने योग्य वित्तीय संसाधन बढ़ाएगा। चीन की अर्थव्यवस्था को अगले कुछ साल तक गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
Source: बिजनेस ब्यूरो | Last Updated 13:56(09/11/10)
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पिछले कुछ दिनों के दौरान ऐसी तमाम रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें यह कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों में चीन से आगे निकल जाएगी। और अब चीन चीन को भी यह लगने लगा है कि वाकई ऐसा हो सकता है। चीन सरकार के प्रमुख नीतिगत अनुसंधान संस्थान डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर के उप निदेशक लियु शिनजिन ने ये कहा है कि विकास दर के मामले में भारत चीन को पछाड़ सकता है। लियु ने चिंता जताते हुए कहा कि उनके देश की विकास दर तीन से पांच साल में मौजूदा 10 से घटकर 7 फीसदी तक आ सकती है। वहीं इस दौरान भारत की विकास दर बढ़कर 9 फीसदी से ऊपर निकल जाएगी।
विश्व बैंक, मोर्गन स्टैनले समेत कई एजेंसियां भारतीय विकास दर के आगे निकलने का दावा पहले से ही कर रही हैं।
चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने लियु के हवाले से आगाह किया है कि अमेरिका में कर्ज सस्ता करने के फेडरल रिजर्व के ताजा कदमों से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई का दबाव बढे़गा। इससे आने वाले समय में चीन को आर्थिक वृद्धि में गिरावट सहनी होगी। फेडरल रिजर्व 600 अरब डॉलर के सरकारी बांड खरीद कर बैंकों के पास कर्ज देने योग्य वित्तीय संसाधन बढ़ाएगा। चीन की अर्थव्यवस्था को अगले कुछ साल तक गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
ये हैं दुनिया के 5 सबसे अमीर देश
ये हैं दुनिया के 5 सबसे अमीर देश
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लंदन के लेगाटुम इंस्टीट्यूट ने दुनिया के 110 सबसे अमीर देशों की एक लिस्ट जारी की है। आर्थिक वृद्धि और लोगों के रहन सहन के स्तर को पैमाना बना कर वैश्विक समृद्धि सूचकांक नाम से जारी की गई इस रिपोर्ट में नॉर्वे का नाम दुनिया के सबसे संपन्न मुल्क के तौर पर सामने आया है।
नॉर्वे के बाद लिस्ट में दूसरे नंबर पर डेनमार्क को जगह मिली है। इसके बाद तीसरे नंबर फिनलैंड, चौथे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और पांचवे नंबर पर न्यूजीलैंड को जगह मिली है।
वहीं तेज आर्थिक तरक्की बावजूद भारत अमीरी के मामले में नीचे खिसक गया है। वैश्विक समृद्धि सूचकांक में इस बार भारत 88वें पायदान पर पहुंच गया है। पिछले साल इस सूचकांक में भारत को 78वां स्थान मिला था। यानी अब संपन्न के मामले में भारत दस पायदान नीचे हैं।
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