बिग बॉस-2 में जब राहुल महाजन और मोनिका बेदी को शामिल किया गया था, तब उनकी भी 'ख्याति' किसी अच्छे कारणों से नहीं थी। मोनिका बेदी ने भले ही कुछ फिल्मों में काम किया हो, पर उन्हें सिर्फ इस आधार पर रखा गया कि उनका नाम एक डॉन से जुड़ा था। राहुल महाजन भी नशे की आदत और अपनी पूर्व पत्नी से संबंध विच्छेद के कारण ज्यादा चर्चा में थे। लेकिन इस शो के बाद वह रातोंरात एक सिलेब्रिटी बन गए और उनकी पुरानी छवि अचानक धुल गई। यही मोनिका बेदी के साथ भी हुआ। तो क्या माना जाए कि बिग बॉस-4 सीमा परिहार को एक नायिका बना देगा? कुछ समय पहले तक काले को सफेद बनाने का यह काम राजनीति किया करती थी। लेकिन अब पॉलिटिक्स ने भी ऐसे तत्वों से किनारा करना शुरू कर दिया है। ऐसे में मनोरंजन उद्योग का इन्हें गले लगाना वाकई चिंता का विषय है।
यह कार्यक्रम अपने प्रतिभागियों के बहाने मनुष्य की कुप्रवृत्तियों का गंभीर विश्लेषण करने की कोशिश करता, तो शायद इसकी कुछ सार्थकता हो सकती थी। मगर यह शो ऐसी प्रवृत्तियों के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाने के बजाय उसके महिमामंडन में ज्यादा रुचि लेता है। सच कहा जाए तो यह शो चर्चित होने को एक मूल्य की तरह स्थापित करता है। यानी एक व्यक्ति को बस चर्चित होना चाहिए, चाहे वह कोई गलत काम करके ही क्यों न हो। अगर वह एक बार चर्चा में आ गया तो यह शो उसे हीरो बनाकर ही छोड़ेगा। अगर इस तरह निगेटिव वैल्यूज ने जोर पकड़ा तो इसका समाज पर गलत असर पड़ सकता है। ठीक है कि हमारे स्वभाव में अनेक विसंगतियां हैं, लेकिन कला और संस्कृति का मकसद उनसे मनुष्य को मुक्त कराना है न कि उन्हें और मजबूत बनाना।
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