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30 मई 2011

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरा मोती... भारत की बात करनी है

तो शुरुआत भारत यानी मनोज कुमार से करते हैं. भारत कुमार की 1967 में आई
फिल्म उपकार का यह गाना पिछले कई सालों से रिचुअल की तरह सिर्फ राष्ट्रीय
पर्वों-26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर को ही सुनाई पड़ता है. 1967 और
1947 के बीच 20 साल का फासला.1962 में चीन से हुई लड़ाई भी हम हार चुके
थे. गांधी, नेहरू भी हमें छोड़ कर जा चुके थे. पर हमारा जोश और जज्बा अभी
हाल तक बरकरार था. उसमें कोई कमी नहीं आई थी. बहुत दिन नहीं हुए, जब देश
की आन-बान और शान के लिए जीना मरना फख्र की बात मानी जाती थी.

समय
बीता, हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के बीज पड़े. पंजाब में हरित क्रांति
का असर दिखने लगा तो गुजरात में आणंद श्वेत क्रांति का प्रतीक बन गया.
यानी मेरे देश की धरती अभी सोना उगल रही थी. खेत लहलहा रहे थे, खलिहान
अनाजों के ढेर से अटे पड़े थे. देखते ही देखते आणंद डेयरी का टेस्ट ऑफ
इंडिया फेम अमूल ब्रांड अमूल्य बन गया. एक बार फिर भारत की बात कर करते
हैं, क्योंकि उनकी क्रांति अभी तक नहीं आई थी.

1981
में आई इस फिल्म में सोना उगलने की कहानी तो नहीं थी, पर इसमें आजादी की
लड़ाई के बहाने अंग्रेजों से लड़ाई की बानगी जरूर पेश की गई थी. कहां तो
इस फिल्म से प्रेरणा मिलनी चाहिए थी, और कहां इसके बाद के दौर में बड़ी
खामोशी से स्वतंत्रता का मतलब ही बदल गया. स्वतंत्रता कब स्वच्छंदता में
तब्दील हो गई, किसी को पता ही नहीं लगा.

1984 में
इंदिरा गांधी ने भी अचानक साथ छोड़ दिया. फिर आया राजीव गांधी का जमाना.
कहां तो राजीव गांधी यह बता कर भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे थे कि केंद्र
सरकार द्वारा दिए गए 100 रुपये में से महज 15 रुपये ही आम आदमी तक पहुंचते
हैं, और कहां वह खुद ही भ्रष्टाचार के समुंदर में डूबने उतराने लगे. राजीव
गांधी पर स्वीडन की सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स से तोप सौदे
में दलाली खाने का आरोप लगाकर विश्वनाथ प्रताप सिंह खुद तो राजर्षि बन गए,
पर राजीव गांधी की लुटिया डूब गई.

लगभग 16 मिलियन
डॉलर का यह घोटाला इसलिए भी बहुत अहम था, क्योंकि इसमें इमोशनल अपील थी और
यह देश की सेना व सुरक्षा से जुड़ा मसला था. इसी के बाद एक नारा बहुत
लोकप्रिय हुआ था, 100 में 90 बेईमान, फिर भी मेरा देश महान! फिर तो
घपलों-घोटाला का जैसे दौर ही शुरू हो गया. नए घोटाले होते, कुछ दिनों तक
मीडिया की सुर्खियां बनते, चर्चाएं, बहस मुबाहिसा होता और फिर अपनी कड़वी
यादें छोड़ वे इतिहास के पन्नों में समा जाते.

4000
करोड़ का हर्षद मेहता शेयर घोटाला, 1000 करोड़ का केतन पारेख शेयर घोटाला,
18 मिलियन डॉलर का हवाला घोटाला, 900 करोड़ का चारा घोटाला, ललित मोदी,
शशि थरूर का आईपीएल घोटाला, 14,000 करोड़ का सत्यम कंप्यूटर्स घोटाला और
20,000 करोड़ के तेलगी स्टांप घोटाले की अब कभी कभार सिर्फ चर्चा ही होती
है.

2010 को घोटालों का साल कहा जाए तो कोई
अतिश्योक्ति नहीं होगी. इस साल सामने आए दो मामलों ने अब तक हुए सभी
घोटालों को बौना साबित कर दिया. राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान 70,000 करोड़
का खेल हो गया. लगभग एक दशक तक वायुसेना में अफसर रहे सीडब्यूजी के
महाकप्तान सुरेश कलमाड़ी ने हजारों करोड़ रुपये हवा में उड़ा दिए. हवा में
उडऩे का तो उन्हें पहले से अनुभव था, अलबत्ता सीडब्ल्यूजी के बहाने हवा
में रुपये उड़ाने का उन्हें नया अनुभव हासिल हो गया. अब कितने रुपये किस
पहाड़ी, नदी या समुद्र में गिरे, यह पता लगाना आसान काम नहीं है.

अब
तो ज्यादा से ज्यादा यही हो सकता है कि उन्हें किसी भी चीज को उड़ाने की
इजाजत नहीं दी जाए. हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स में जब भारतीय खिलाडिय़ों ने
गोल्ड मेडल जीतना शुरु किया तो लगा कि अभी भी इस जुमले की प्रासंगिकता
थोड़ी बची हुई है कि मेरे देश की धरती सोना उगले... पर वह सब घोटाले के
गर्द-ओ-गुबार में न जाने कहां गुम हो गया. 

2011
में जब कुछ महीने बाकी रह गए थे तो घोटालों का सिलसिला कैसे खत्म हो सकता
था. नवंबर में सामने आया 1.76 लाख करोड़ का 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला. सीएजी
रिपोर्ट में कहा गया कि संचार मंत्री ए राजा ने 2जी लाइसेंस की नीलामी में
न केवल हर स्तर पर नियम-कानूनों की अनदेखी की बल्कि दूरसंचार कंपनियों को
कौडिय़ों की तरह लाइसेंस लुटा दिए. फिर तो दिल्ली और तमिलनाडु की राजनीति
में जैसे भूचाल आ गया. सोनिया गांधी-राहुल गांधी के इशारों पर चलने वाली
मनमोहन सिंह सरकार की जब ज्यादा फजीहत हुई, तो राजा को इस्तीफा देकर रंक
बन जाने के लिए कहा गया.

शुरुआती ना-नुकुर के बाद
आखिरकार ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया. जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, इस घोटाले
की परतें खुलती जा रही हैं. नए नए नायक, सहनायक और खलनायक सामने आते जा
रहे हैं. साल खत्म होने में अभी कुछ दिन बचे हैं. महाघोटाले के तौर पर कोई
और घोटाला सामने आ जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है. वैसे 2012 में अगर
कोई उपकार का सीक्वल यानी उपकार-2 बनाने की सोच रहा हो तो वह उसमें एक
गाना रख सकता है, मेरे देश की धरती सोना निगले, निगले हीरा-मोती.फिल्म और
गाना दोनों हिट होगा, इसकी गारंटी दे सकता हूं.

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