कुल पेज दृश्य

27 जून 2011

जनता ये बात बहुत ही अच्छी तरह से समझ चुकी है

पर राहुल से है उम्मीद
क्योकि उनमे सच्चाई की झलक दिखती है
अब जनता ये बात बहुत ही अच्छी तरह से समझ चुकी है कि सर्प सिर्फ़ अलग अलग रंगों की केंचुली धारण किए रहता है किंतु भीतर से तो वो सर्प ही रहता है और सांप के चरित्र के अनुरूप ही व्यवहार करता है । इसलिए उन्हें काबू में लाने के लिए अब कुछ कुशल सपेरों ने बागडोर थाम ली है । न सिर्फ़ थाम ली है बल्कि अब उन्होंने अपने अपने फ़ंदों में सत्ता और सरकार को फ़ंसाना भी शुरू कर दिया है । 
जनता तो पहले से ही परिवर्तन की बाट जोह रही थी , उसे तो ये मौका मानो मुंह मांगी मुराद की तरह मिल गया है । आज आम आदमी को इससे कोई फ़र्क नहीं पड रहा है कि वो जिनके पीछे चल कर सरकार के सामने सीना तानने जा रहा है , उसकी अपनी क्या व्याख्या है , वो तो बस उस जनाक्रोश का एक हिस्सा बन जाने को आतुर है ताकि कल को कोई ये न कहे कि जब क्रांति बुनी जा रही थी तो तुमने भी देखा तो था न यकीनन । सिविल सोसायटी , योग गुरू , स्वनिर्मित जनसगठनो का चेहरा लिए हुए आम जनता ने सरकार और सत्ता के सामने उन प्रश्नों को न सिर्फ़ रखना शुरू किया जिनका उत्तर वे बरसों से चाह रही थीं । पहले सूचना के अधिकार के लिए कानून की लडाई में मिली जीत और उससे आए बदलाव ने इस लडाई में एक उत्प्रेरक का काम किया । इसके बाद जनलोकपाल बिल के लिए टीम अन्ना द्वारा छेडा गया आंदोलन जल्दी ही पूरे देश भर का समर बन गया । इसके साथ ही योग गुरू रामदेव ने भी एक मुद्दा विदेशों मे काले धन की वापसी के लिए कठोर कानून बनाए जाने की मांग को लेकर एक नया आंदोलन छेड दिया । सबसे अहम बात जो सामने निकल कर आई वो ये कि इन और इन जैसे तमाम प्रयासों के साथ जिस तरह का सलूक सरकार और उसके मंत्रियों ने किया या अब भी कर रहे हैं और उससे भी बडी बात कि जिस तरह का घोर उपेक्षित रवैय्या , प्रधानमंत्री , यूपीए अध्यक्षा , और तेज़ तर्रार महासचिव और युवा लोगों में खासे लोकप्रिय माने जाने वाले युवा नेता ने अपना रखा है उससे तो स्थिति और स्पष्ट हो गई है आम जनता के सामने

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें