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02 जून 2011

VIJAY JI KI EK BAKVAS SI KAVIY]TA !!

क्या खोया है, क्या पाया है
आज तुम्हें बतलाते हैं
आओ साथियों, देशवासियो
भारत तुम्हें दिखाते हैं ॥
जिस गौ को गौमाता कहकर
गाँधी सेवा करते थे
जिसके उर में सभी देवता
वास हमेशा करते थे
हिन्द भले ही मुक्त हुआ हो
गौमाता बेहाल अभी
कटती गऊएँ किसे पुकारें
उनके सर है काल अभी
गौमाता की शोणित-बूँदें
जब धरती पर गिरती हैं
तब आज़ादी की व्याख्याएँ
ज्यों आरी से चिरती हैं
गौ भारत का जीवन-धन है
हिन्दू चिन्तन की धारा
गौमाता को जो काटे, वह
है माता का हत्यारा
कृष्ण कन्हैया की गऊओं की
गाथा करुण सुनाते हैं

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