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04 जुलाई 2011

प्यारया फिर करियर


जब भी कोई युवक या युवती प्यार के चक्कर में पड़ता है तो उसके सामने दो विकल्प रहते हैं, एक तो यह कि वे अपने प्यार को परवान चढ़ने पर ध्यान दें या फिर अपने करियर पर। करियर बनाने की उम्र में प्यार में पड़े युवक-युवतियाँ प्यार को ही तवज्जो देने लगते हैं।
प्यार की खातिर अपने करियर को दाँव पर लगाने वाले युवक-युवतियाँ भूल जाते हैं कि प्यार करने के लिए तो सारी जिंदगी है, पर एक बार करियर छूट गया तो उसे सँवारना बड़ा मुश्किल है।
कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है, लेकिन यदि आप विवेक से काम लें तो अपने बढ़ते कदम रोक सकते हैं। माना कि आप वयस्क हैं, आपको प्यार करने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसके लिए कितनी बड़ी कीमत चुका रहे हैं। आप जरा इस बात पर भी गौर फरमाइए।
प्यार के पचड़े में पड़कर अपना करियर बर्बाद करने वाले युवक-युवतियाँ शायद यह नहीं जानते कि उनके इस आचरण से उनके परिजनों का कितना दिल दुखेगा। अपने बच्चों का करियर बनाने के लिए की गई जद्दोजहद व्यर्थ होते देख उन्हें कैसा महसूस होगा? उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता देख उन्हें कितनी ठेस पहुँचेगी।
जीवन में हर कार्य का एक समय होता है और उसे तब ही करने में भलाई है। जब आप कॉलेज में एडमिशन लेते हैं तो आपका लक्ष्य करियर बनाना होना चाहिए। आपस में दोस्ती होना बुरा नहीं है, लेकिन दोस्ती और प्यार के बीच एक सीमा रेखा है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए। जो युवक-युवतियाँ पढ़ाई के दौरान प्यार में पड़ जाते हैं वे अपना करियर समाप्त कर लेते हैं, क्योंकि दोनों का ही ध्यान पढ़ाई से उचट जाता है। ऐसे युवक-युवतियों को चाहिए कि वे पहले अपने करियर पर ध्यान दें।
एक बार आप अपनी मंजिल हासिल कर लें, उसके बाद प्यार करें तो वे अपने प्यार को भी समय दे पाएँगे व उसके साथ न्याय कर सकेंगे। करियर की ओर ध्यान नहीं देने से अच्‍छी नौकरी नहीं मिलेगी व आय का कोई साधन नहीं रहेगा। रोजी-रोटी और गृहस्थी के लिए अच्‍छा करियर होना बहुत जरूरी है अन्यथा प्यार में अंधे होकर किए गए प्रेम-विवाह का हश्र बहुत बुरा होता है। हाथों की मेहँदी छूटने के पहले ही अलगाव की स्थिति बन जाती है। इसलिए आप अपनी जिंदगी के फैसले सोच-समझकर लें।
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लड़कियों के डर भी अजीब होते हैं
भीड़ में हों तो लोगों का डर
अकेले में हों तो सुनसान राहों का डर
गर्मी में हों तो पसीने से भीगने का डर
हवा चले तो दुपट्टे के उड़ने का डर
कोई न देखे तो अपने चेहरे से डर
कोई देखे तो देखने वाले की आँखों से डर
बचपन हो तो माता-पिता का डर
किशोर हो तो भाइयों का डर
यौवन आये तो दुनिया वालो का डर
राह में कड़ी धुप हो तो,चेहरे के मुरझाने का डर
बारिश आ जाये तो उसमें भीग जाने का डर
वो डरती हैं और तब तक डरती हैं
जब तक उन्हें कोई जीवन साथी नहीं मिल जाता
और वही वो व्यक्ति होता हैं जिसे वो सबसे ज्यादा डराती है!!!!!!!!!!

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