Front Page
कुल पेज दृश्य
18 अगस्त 2011
जज्बात
अपने जज्बात को,
नाहक ही सजा देती हूँ...होते ही शाम,
चरागों को
बुझा
देती हूँ...
जब राहत का,
मिलता ना बहाना कोई...लिखती हूँ हथेली पे नाम तेरा,
लिख के मिटा देती हूँ......................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें