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05 अक्तूबर 2010

बच्चो को दे प्यार और विश्वास

बच्चो को दे प्यार और विश्वास

 महिला एवं शिशु विकास मंत्रालय ने युनिसफ़ और कुच्छ एनजीओ के साथ मिलकर हाल ही मै चाइल्ड येब्युस के मामले मै भारत के १६ राज्यों का सर्वे किया है ! इस सर्वे मै शामिल ५३% बच्चो ने माना की वे कभी ना कभी शारीरिक शोषण करने वालो में से ५०% जान पहचान वाले लोग ही थे ! बचियों  की तुलना में बच्चे शारीरिक शोषण का ज्यादा शिकार हो रहे हैं !
                                         ये हमारे देश मै नहीं दुनिया भर मै घटने वाली जटिल समस्या है जिसको हम किसी भी तरह नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते जिसकी खबर हम हर रोज़ अख़बार , टेलीविज़न के माध्यम से देखते और सुनते हैं ! कितना प्यार करते हैं हम अपने बच्चो से ? हमारा जवाब होता है ''''''''बहुत ज्यादा ;;;;; कितना ख्याल रखते हैं हम अपने बच्चो का ? हमारा फिर वही जवाब '''''बहुत ज्यादा ! फिर ये सब  केसे हो जाता है ? कही न कही तो हम उनकी देख रेख मै चुक कर ही रहे हैं जिसका भुगतान हमारे मासूम बच्चो को उठाना पड़ता है ! कोन सी है हमारी वो भूल ? हमे अपने बच्चो के साथ एक दोस्त की तरह रहना चाहिए अपने रोज़ -मर्रा की जिंदगी मै से कुच्छ पल उनके साथ व्यतीत करना चाहिए उनके खट्टे - मीठे पालो को उनके साथ बाँटना चाहिए ! उनका विश्वास जीतना चाहिए क्युकी हर इन्सान अपने साथ घटित घटना को किसी न किसी के साथ बंटाना चाहता है और उसकी प्रतिक्रिया जानना चाहता है ! जब हम अपने बच्चो के करीब जायेंगे उनके एहसासों को बाँटेंगे तभी हम उनके जीवन की गतिविधियों से अवगत रह पाएंगे और वो हमसे खुल कर अपने दिल की बात कह पाएंगे ! हमे एसा करके उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान देकर उनकी हिम्मत को बढाना है जिससे वो अपने खिलाफ होने वाले शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठा सके और दोषी को अपनी हिम्मत से पस्त कर सके ! हमे  अपने बच्चो की नीव इतनी मजबूत करनी होगी की वो थोड़े से ही हिलाने से गिरे नहीं बल्कि उसे ही गिरा दे जो उनकी नीव को हिलाना चाहता है और ये काम कोई और नहीं हम माँ-बाप ही अच्छी तरह कर सकते हैं क्युकी वो किसी ओर की नहीं हमारी और आपकी जिमेदारी है जब हम ही उन्हें संरक्षण नहीं दे पाएंगे तो हम दोषी को सजा केसे दिला पाएंगे ! 
  बच्चो मै शोषण के मामले अधिकांशतः घर की चार दिवारी से कभी बाहर निकल ही नहीं पाते दोषियों के खिलाफ केस दर्ज करवाने की बात तो बहुत दूर की है ,पर जब तक हम उनके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाएंगे येसे मामले खत्म होने का नाम ही नहीं ले सकते और येसे लोगो की हिम्मत बढती चली जाएगी !ये बात १००% सच है की जितने भी इस तरह के शोषण होते हैं वो हमारे करीब के लोग ही होते हैं ! और इस मै हर वर्ग के लोग आते हैं !कुच्छ लोगो का कहना है की येसे लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं पर मेरा ये सोचना है की अगर वो मानसिक रूप से बीमार होते हैं तो अपने और दुसरे के बचो मै फर्क केसे कर लेते हैं उस वक़्त उनकी बीमारी ठीक  केसे रहती है ये सिर्फ एक क्षण की भूख भर है जो आदमी को अँधा बना देती है और मासूम का जीवन तबहा  कर देती है ! येसे व्यक्ति को बिलकुल माफ़ नहीं करना चाहिए ! हमे अपने बच्चो को अपने करीबी लोगो से हमेशा सतर्क रहना सीखना चाहिए ! जिससे वो उनकी मसुमियता का फायदा कभी अंकल ,चाचा या भाई बन कर न उठा सके ! हमे इन लोगो से ज्यादा विश्वास अपने बच्चो की बातो पर करना होगा जिससे कोई बाहर का आदमी हमसे मीठी -२ बाते करके हमारे बच्चो के साथ दुराचार न कर सके ! उन्हें इज़त करना सिखाना है पर अगर उस की आड़ मै उनसे कोई गलत व्यव्हार करे तो उसका जवाब देना भी सीखना होगा !ये सब  हमारे और आपके प्रयत्न से ही पूरा हो सकता है ! बस हमारा काम है बच्चो के अन्दर विश्वास और हिम्मत जगाने की जिससे उन्हें हमारी मदद  की जरुरत होने पर अपना मुह बंद न रखना पड़े उनका हम पर  विश्वास ही उन्हें हमसे संपर्क बनाने मै मदद करेगा !

     बच्चो को प्यार देने का अर्थ ये नहीं की हम उन्हें समय से खाना दे देना या उनके नम्बरों का लेखा जोखा देख लिया इन सब के साथ -२ हमे उनमे आने वाले बदलाव पर भी नज़र रखनी चाहिए की कही हमारा बच्चा किसी तरह की परेशानी से तो नहीं जूझ रहा या चुप -चाप क्यु रहने लगा है आदि हम ये सब काम उन्हें अपना थोडा सा समय दे  कर आसानी से कर सकते हैं और अपने बच्चो को एक सुरक्षित जीवन प्रदान कर सकते हैं !


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RITESH TIKARIHA
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                                 thanx......
                                 ok then

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