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30 मई 2011

संसद की मानसून सत्र

संसद की मानसून सत्र पर अच्छी लिखी एक कविता आप सब की नज़र है:
सुनते हैं दाउद फिर चर्चा में आएगा
अयोध्या का मुददा गरमाएगा
सीबीआई का नाम उछलेगा
पाकिस्तान पर बहस होंगे.
संसद में हंगामा होगा
राष्ट्रमंडल खेलों की खबर होगी
खबर देश के विकास और चमक की होगी
कुछ और बेवजह के मुद्दे होंगे.
संसद के अंदर-बाहर बहस होगी
बहस नहीं तो स्थगन होगा
अखबार टीवी का सदानंद होगा
बस बहस में गरीबी बेरोजगारी नहीं होगी
मजदूरों का खटना और भूखों मरना
युवाओं का भूखों भटकना नहीं होगा.
बस बहस में गरीबी बेरोजगारी नहीं होगी
और सब होगा और सब होगा|
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