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24 मई 2011

आतंकी से बड़ा खतरा आईएसआई! फिरौती नहीं मिलने पर की हत्‍या

(फोटो कैप्शन: आईएसआई प्रमुख शुजा पाशा )
पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की हरकतें मुल्‍क के लिए खतरा बन सकती हैं। दुनिया भर में कुख्‍यात यह एजेंसी अब चौतरफा घिर रही है। अफगानिस्‍तान सरकार ने कहा है कि तालिबान सरगना मुल्‍ला उमर को आईएसआई ले गई है। अमेरिकी कोर्ट में आतंकी डेविड हेडली ने कहा है कि आईएसआई ने मुंबई में हमला कराने में लश्‍कर की मदद की। अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्‍तान में जहां छिपा था, वह जगह भी आईएसआई का ही अड्डा बताया जाता है। और तो और, मुल्‍क में भी आईएसआई हत्‍या, फिरौती जैसे धंधे में लगी है। मंगलवार को ही मुजफ्फराबाद के एक युवक की फिरौती नहीं मिलने पर आईएसआई द्वारा हत्‍या किए जाने की खबर आई है।
आईएसआई के बारे में अमेरिकी कोर्ट में हेडली के कबूलनामे (पूरी खबर पढ़ने के लिए रिलेटेड आर्टिकल के लिंक पर क्लिक करें) से पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ने लगा है। भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद ने कहा कि भारत और अमेरिका को मिलकर पाकिस्‍तान पर शिकंजा कसना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी में घुसपैठ है। भारत को इस बात पर जोर देना चाहिए कि अमेरिका इन सूचनाओं को सार्वजनिक करे।

बीजेपी ने भी आज संवाददाता सम्‍मेलन में कहा कि अब पाकिस्तान पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। पार्टी नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि पाकिस्‍तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंता है और यह दुनिया भर के लिए खतरा साबित हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने के बाद यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों का स्वर्ग बन चुका है। पाकिस्तान में तालिबानी आतंकवादियों के नेवल बेस पर हमले के बाद यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का जखीरा सुरक्षित है?

शिकागो कोर्ट में डेविड हेडली ने 26/11 हमले के आरोपी आतंकवादी संगठन लश्‍कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्‍मद के पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्‍ते होने की बात कबूल की है। हेडली के इस कबूलनामे से आईएसआई और पाकिस्‍तानी सरकार एक बार फिर बेनकाब हो गए। दरअसल आईएसआई एक खुफिया एजेंसी है और इसका काम खुफिया जानकारियां जुटाकर सेना और सरकार को देना है जिससे देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। लेकिन हेडली के कबूलनामे से साफ हो गया कि आईएसआई अपनी मुख्‍य भूमिका से भटक गया है।

पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठनों का मददगार होने के साथ आईएसआई के अधिकारियों पर अपहरण कर फिरौती वसूलने के भी आरोप लगते रहे हैं। आईएसआई अधिकारियों ने मुजफ्फराबाद के निवासी मोहम्‍मद सरवर के बेटे डॉ. रिजवान को बीते 7 मई को उसके घर से ही अगवा कर लिया और 23 मई को उसकी हत्‍या कर दी गई। हालांकि रिजवान के खिलाफ कोई मामला भी दर्ज नहीं किया गया और उसे आईएसआई के ‘प्रताड़ना शिविर’ में रखा गया। स्‍थानीय पुलिस ने रिजवान को रिहा करने के एवज में उसके घरवालों से 60 हजार रुपये मांगे थे। घरवाले हालांकि इस पैसे के इंतजाम में जुटे भी थे लेकिन तभी खबर आई कि निर्दोष रिजवान को मौत के घाट उतार दिया गया है।

आतंकवादियों ने पाकिस्‍तान के विभिन्‍न इलाकों में सुरक्षा बलों से जुड़े कई अहम ठिकानों पर हमले किए हैं। यहां तक कि पाकिस्‍तानी सेना के मुख्‍यालय पर भी हमला हुआ था जिसमें आतंकियों ने कई अधिकारियों को 24 घंटे तक बंधक बनाए रखा। इसमें एक ब्रिगेडियर और एक लेफ्टिनेंट कर्नल समेत कई लोगों की मौत हो गई थी। इस तरह की भयंकर चूक और लापरवाही होने के बावजूद किसी ने इसे चूक या खुफिया एजेंसी की नाकामी नहीं माना है।

हालां‍कि ऐबटाबाद की घटना के बाद आईएसआई को दुनिया की सर्वश्रेष्‍ठ खुफिया एजेंसी बताने की कोशिश की जा रही है। जबकि इस घटना ने पाकिस्‍तानी सेना की चौकसी और उनके खुफिया एजेंसियों की पोल खोल कर रख दी है। कई लोग आईएसआई को दुनिया की टॉप टेन खुफिया एजेंसियों में दूसरे या तीसरे स्‍थान पर रखते हैं। चोटी की 10 उम्‍दा खुफिया एजेंसियों में अमेरिका की सीआईए, ब्रिटेन की एमआई-6, इजराइल की मोसाद, जर्मनी की बीएनडी, रूस की एफएसबी, चीन की एमएसएस, फ्रांस की डीजीएसई, भारत की रॉ और ऑस्‍ट्रेलिया की एएसआईएस के नाम शामिल हैं।
पाकिस्‍तान के पश्चिमोत्‍तर प्रांत से सांसद और अवामी नेशनल पार्टी के नेता अफरसियाब खटक ने आईएसआई को तालिबान का संरक्षक करार दिया है। विकीलीक्‍स के खुलासे के मुताबिक खटक ने साल 2009 में अमेरिकी अधिकारी लिन ट्रेसी से बातचीत में कहा था कि स्‍वात घाटी से तालिबान को खदेड़े जाने के बाद आईएसआई ने ही उन्‍हें पनाह दी थी। खटक ने यह भी कहा कि पाकिस्‍तानी सेना अल कायदा के करीबी माने जाने वाले आतंकी संगठन हक्‍कानी नेटवर्क की मदद करते रहे हैं। पाक सेना ने तालिबान के नेताओं मुल्‍ला नजीर और हाफिज गुल बहादुर को भी संरक्षण दिया है।
आईएसआई अपने मुल्‍क में खुफियागीरी में लगातार नाकाम साबित हुई है। इसका ताजा सुबूत कराची के नौ‍सैनिक अड्डे पर हुए आतंकी हमले के रूप में आया है। ऐसे में यह एजेंसी मुल्‍क की बेहतरी में किसी भी तरह मददगार साबित नहीं हो रही है। एक ओर, जहां इसकी नाकामी के चलते आतंकी पाकिस्‍तानी हुक्‍मरान को हिला सकते हैं तो दूसरी ओर, इसकी करतूतों के चलते अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर पाकिस्‍तान सरकार को मुश्किल झेलना पड़ सकता है।
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आपकी बातआईएसआई का असली चेहरा सामने आने के बाद पाकिस्‍तान सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ रहा है। हालांकि भारत पहले से ही 26/11 मामले में आईएसआई की भूमिका से जुड़े सबूत देता आया है। क्‍या आईएसआई के अधिकारी आतंकियों से भी खतरनाक हैं? क्‍या ऐसे खुलासे के बाद अमेरिका को पाकिस्‍तान से रिश्‍ते तोड़ लेने चाहिए? भारत की अगली रणनीति क्‍या होनी चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्‍स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर करें। किसी भी आपत्तिजनक टिप्‍पणी के लिए पाठक खुद जिम्‍मेदार होंगे।

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