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30 मई 2011

osho

चौबीस घंटे किसी भी एक चीज को मत पकड़ लेना।
जीवन में दो घाट हैं, दो किनारे हैं जीवन की सरिता के। श्रम है, विश्राम है; जागना है, सोना है। इसीलिए तो पलक झपती है, बंद होती है। इसीलिए तो श्वास भीतर आती है, बाहर जाती है। इसीलिए तो जन्म होता है, मौत होती है। इसलिए तो स्त्रियां हैं, पुरुष हैं। जीवन पर दो घाट हैं। और दोनों का जो संतुलन में संभाल लेता है वही परमात्मा को उपलब्ध होता है।
एक को मत पकड़ लेना। एक को तुमने पकड़ा तो तुमने चुनाव कर लिया, आधे का पकड़ा आधे को तुमने छोड़ दिया। वह आधा भी परमात्मा है। 

                                       ..........osho

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