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11 जून 2011

धरती में समा गए धरती मां के लाल, बहा आसुंओ का सैलाब


 
बागबाहरा.बस्तर संभाग के नारायणपुर से 25 किमी दूर ओरछा रोड पर झाराघाटी में गुरुवार की तड़के सुबह सीएएफ कैंप पर हुए नक्सली हमले में शहीद जवानों ताराचंद निर्मलकर और राजेंद्र दीवान को शुक्रवार की सुबह उनके गृहग्राम खुसरुपाली में गमगीन माहौल में अंतिम बिदाई दी गई।
गुरुवार की तड़के सुबह कैंप के बाहर जंगल की ओर नित्यकर्म के लिए निकले जवानों को निशाना बनाने के बाद मोर्चा नं. 6 में तैनात संतरी को भी नक्सलियों ने गोली मार दी थी। अपने गांव के लाडले सपूतों की शहादत की खबर ग्राम खुसरुपाली के ग्रामीणों को शाम तक मिली और पूरे गांव में शोक छा गया।
शहीदों को परिजनों को धीर-धीरे देर रात तक दी गई। गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात शहीदों का पार्थिव देह खुसरुपाली पहुंचा तो परिजनों समेत समस्त ग्रामीणों की आंखें नम हो गई। शहीद जवानों को परिजनों के आंसू थम नहीं रहे थे। उनके करुण क्रंदन ने पूरे ग्राम के ग्रामीणों को भावविह्वल कर दिया।
शुक्रवार की सुबह पूरा गांव शहीद जवानों का अंतिम दर्शन करने तथा उनको श्रद्धासुमन अर्पित करने उमड़ पड़ा था। सुबह 9 बजे दोनों शहीद जवानों की अंतिम यात्रा निकली। इसमें शरीक लोग सभी लोग भारत माता, छत्तीसगढ़ महतारी की जय जयकार कर रहे थे और शहीद तारा निर्मलकर व राजेंद्र दीवान अमर रहे तथा शहीदों का यह बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान के नारे लगा रहे थे।
अंत्येष्टि स्थल पर ही बाद में शहीद जवानो को दो मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस तरह धरती मां के पुत्र उनकी सेवा के संकल्प की पूर्ति करके धरती में समा गए।
विदित हो कि शहीद ताराचंद निर्मलकर और शहीद राजेंद्र दीवान दोनों ही ग्राम खुसरुपाली के सपूत थे। जिन्होंने एक साथ रहकर पढ़ाई की और दो वर्ष पहले ही छत्तीसगढ़ सशस्त्र पुलिस बल (सीएएफ) में भर्ती हुए थे।
डेढ़ माह पूर्व सीएएफ ने जब पूरी तैयारी के साथ यहां कैंप स्थापित किया था तब दोनों शहीद वहीं तैनात किए गए थे। दोनों शहीद ताराचंद उम्र 26 वर्ष व राजेंद्र उम्र 24 वर्ष अविवाहित थे और हाल ही में अपने परिजनों व ग्रामवासियों से मिलकर अपनी ड्यूटी पर लौटे थे।
ताराचंद्र के पिता रामाधार निर्मलकर कृषि कार्य करते हैं जबकि राजेंद्र के पिता रोशनलाल दीवान मजदूरी करते हैं। शासन की शहीदों की सम्मानपूर्ण अंत्येष्टि के लिए प्रत्येक परिवार को 31,240 रुपए की तात्कालिक राशि मुहैया कराई गई है।
नम आंखों से शहीद चंदन को अंतिम विदाई

नारायणपुर जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर झरघाटी स्थित सीएसएफ 16वीं बटालियन के बेस कैंप में सेवाएं दे रहे जवानों पर सुबह 5 बजे नक्सलियों ने घात लगाकर कर दिया जिसमें 5 जवान शहीद हो गए। जिसमें गनेकेरा ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम का 24 वर्षीय आदिवासी नवयुवक चंदनसिंह पिता मंगलसिंह पोर्ते भी शामिल था। चंदन के शहीद होने की जानकारी मिलते ही गांव में शोक फैल गया। वह अपने परिवार का सबसे छोटा सदस्य था। उसके बड़े भाई दुबे लाल व भाभी ममता पोर्ते शिक्षा कर्मी है।
परिवार के पास छह एकड़ भूमि है जिस पर उसके माता-पिता खेती किसानी करते हैं। नवागांव की आबादी एक हजार है उसके तीन सौ आदिवासी परिवार है। 8 जनवरी 1987 को जन्मे चंदन सिंह पोर्ते शुरू से ही मेधावी रहा। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व सीएसएफ 16 वीं बटालियन से जुड़ा।

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