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22 जून 2011

ओशो प्रभात

यदि आप दुखी हैं, यदि आपको बोध होता है कि दुख है, तो उस दुख को झेलते मत चले जाइए, उस दुख को सहते मत चले जाइए। उस दुख के विरोध में खड़े होइए और उस दुख को विसर्जित करने का उपाय करिए।
साधारण मनुष्य दुख को पाकर जो काम करता है वह, और साधक जो काम करता है वह, दोनों में बहुत थोड़ा-सा भेद है। जब साधारण व्यक्ति के सामने दुख खड़ा होता है, तो वह दुख को भुलाने का उपाय करता है। और जब साधक के सामने दुख खड़ा होता है, तो वह दुख को मिटाने का उपाय करता है।
दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं। एक वे लोग, जो दुख को भुलाने का उपाय कर रहे हैं। और एक वे लोग, जो दुख को मिटाने का उपाय कर रहे हैं। परमात्मा करे, आप पहली पंक्ति में न रहें और दूसरी पंक्ति में आ जाएं।
दुख को भुलाने का उपाय एक तरह की मूर्च्छा है। आप चौबीस घंटे दुख को भुलाने का उपाय कर रहे हैं। आप लोगों से बातें कर रहे हैं, या संगीत सुन रहे हैं, या शराब पी रहे हैं, या ताश खेल रहे हैं, या जुए में लगे हुए हैं, या किसी और उपद्रव में लगे हुए हैं, जहां कि अपने को भूल जाएं, ताकि आपको स्मरण न आए कि भीतर बहुत दुख है।
हम चौबीस घंटे अपने को भुलाने के उपाय में लगे हुए हैं। हम नहीं चाहते कि दुख दिखाई पड़े। अगर हमें दुख दिखाई पड़ेगा, तो हम घबरा जाएंगे। तो हम दुख को भुलाने के और विलीन करने के उपाय में लगे हुए हैं। दुख भुलाने से मिटता नहीं है। दुख भुलाने से मिटता नहीं है, कोई घाव छिपा लेने से मिटता नहीं है। और अच्छे कपड़ों से ढांक लेने से कोई अंतर नहीं पड़ता है, वरन अच्छे कपड़ों से ढांक लेने से और घातक और विषाक्त हो जाता है।
तो घावों को छिपाएं न। उन्हें उघाड़ लें और अपने दुख का साक्षात करें। और उसे भुलाएं मत, उसे उघाड़ें और जानें और उसे मिटाने के उपाय में संलग्न हों। वे ही लोग जीवन के रहस्य को जान पाएंगे, जो दुख को मिटाने में लगते हैं, दुख को भुलाने में नहीं।
और मैंने कहा, दो ही तरह के लोग हैं। उन लोगों को मैं धार्मिक कहता हूं, जो दुख को मिटाने का उपाय खोज रहे हैं। और उन लोगों को अधार्मिक कहता हूं, जो दुख को भुलाने का उपाय खोज रहे हैं। आप स्मरण करें कि आप क्या कर रहे हैं? दुख को भुलाने का उपाय खोज रहे हैं? क्या आप सोचते हैं, अगर आपके सारे उपाय छीन लिए जाएं, तो आप बहुत दुखी नहीं हो जाएंगे?

 

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