शराब का नशा विनाश की ओर ले जाता है.
पैसे का नशा अंहकार की ओर ले जाता है.
जीवन का नशा मृत्यु की ओर ले जाता है.
ज्ञान का नशा सम्मान की ओर ले जाता है.
लेकिन प्रेम का नशा परमात्मा की ओर ले जाता है.
पैसे का नशा अंहकार की ओर ले जाता है.
जीवन का नशा मृत्यु की ओर ले जाता है.
ज्ञान का नशा सम्मान की ओर ले जाता है.
लेकिन प्रेम का नशा परमात्मा की ओर ले जाता है.
रचनाकार: अख़्तर अंसारी
साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं
मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं
एक तस्वीर-ए-मुहब्बत है जवानी गोया
जिस में रंगो की इवज़ ख़ून-ए-जिगर भरते हैं
इशरत-ए-रफ़्ता ने जा कर न किया याद हमें
इशरत-ए-रफ़्ता को हम याद किया करते हैं
आस्माँ से कभी देखी न गई अपनी ख़ुशी
अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं
शेर कहते हो बहुत ख़ूब तुम "अख्तर" लेकिन
अच्छे शायर ये सुना है कि जवाँ मरते हैं
मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं
एक तस्वीर-ए-मुहब्बत है जवानी गोया
जिस में रंगो की इवज़ ख़ून-ए-जिगर भरते हैं
इशरत-ए-रफ़्ता ने जा कर न किया याद हमें
इशरत-ए-रफ़्ता को हम याद किया करते हैं
आस्माँ से कभी देखी न गई अपनी ख़ुशी
अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं
शेर कहते हो बहुत ख़ूब तुम "अख्तर" लेकिन
अच्छे शायर ये सुना है कि जवाँ मरते हैं
एक कविताः बेटियां ( रचनाकार: डॉ . अमिता नीरव )
ना जाने कहां से आ जाती हैं ये
कुछ ना हो फिर भी खिलखिलाती हैं बेटियां ना प्यार की गर्मी और ना चाहत की शीतलता
फिर भी जीती जाती हैं बेटियां अभावों और दबावों के बीच भी
दिन के दोगुने वेग से बढ़ती जाती है बेटियां भीड़ भरे मेले में हाथ छूट जाए
फिर भी किसी तरह घर पहुंच जाती हैं बेटियां खुद को जलाकर भी
घरों को रोशन करती जाती हैं बेटियां सीमाओं के आरपार खुद को फैलाकर
पुल बन जाती हैं बेटियां शायद इसकी सजा पाते हुए
कोख में ही मारी जाती हैं बेटियां ... ।
कुछ ना हो फिर भी खिलखिलाती हैं बेटियां ना प्यार की गर्मी और ना चाहत की शीतलता
फिर भी जीती जाती हैं बेटियां अभावों और दबावों के बीच भी
दिन के दोगुने वेग से बढ़ती जाती है बेटियां भीड़ भरे मेले में हाथ छूट जाए
फिर भी किसी तरह घर पहुंच जाती हैं बेटियां खुद को जलाकर भी
घरों को रोशन करती जाती हैं बेटियां सीमाओं के आरपार खुद को फैलाकर
पुल बन जाती हैं बेटियां शायद इसकी सजा पाते हुए
कोख में ही मारी जाती हैं बेटियां ... ।
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समय का खेल है यारों समय के साथ जाना है.
जहाँ से सिखना है कुछ जहाँ को कुछ सिखाना है.
भले ही राह में दुःख हो उसे सहते ही जाना है
क्षितिज की चाह की है तो क्षितिज के पार जाना है.
नहीं कोई सफाई है, नहीं कोई बहाना है.
किया हमने जो वादा है, वही वादा निभाना है.
यही चाहत रहे अपनी, इसे हमको निभाना है.
नहीं जो कर सका कोई, उसे करके दिखाना है.
समय का खेल है यारों समय के साथ जाना है.
जहाँ से सिखना है कुछ जहाँ को कुछ सिखाना है.
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