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13 जुलाई 2011
BLACK MONEY
सुप्रीम कोर्ट ने काले धन के प्रश्न को संवैधानिक परिप्रेक्ष्य में रखकर एक कारगर हस्तक्षेप किया है। न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की टिप्पणियों से साफ है कि सर्वोच्च न्यायालय इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों से असंतुष्ट है।
इसलिए अब उसने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता में एक तेरह सदस्यीय विशेष जांच दल बना दिया है। कोर्ट की राय में केंद्र सरकार की कार्रवाई विभिन्न क्षेत्राधिकार के विभागों और एजेंसियों में बंटी रही है और वह कहीं पहुंचती नहीं दिखती।
इसलिए अब विशेष जांच दल विभिन्न सरकारी संस्थाओं में तालमेल कायम करेगा और उन्हें समय के मुताबिक जरूरी आदेश देगा। हालांकि कोर्ट ने भी यह माना है कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाना आसान नहीं है, लेकिन अब कम से कम विश्वसनीयता का संकट खत्म होगा। यानी लोगों में भरोसा कायम होगा कि जनता के लूटे गए धन को वापस लाने की सचमुच कोशिश हो रही है। सामान्य स्थितियों में सुप्रीम कोर्ट के इस कदम को न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल माना जाता, मगर काले धन और भ्रष्टाचार का मुद्दा आज जनहित में इतना अहम हो गया है कि किसी भी हलके से ऐसी शिकायत उठने की शायद ही संभावना है। चूंकि जनता की नजर में इन मुद्दों पर सरकार की साख संदिग्ध बनी हुई है, इसलिए कोर्ट के हस्तक्षेप से आम लोग राहत महसूस कर रहे हैं। यह उम्मीद वाजिब है कि कार्रवाई का सूत्र सरकार के हाथ से निकलकर न्यायपालिका के हाथ में चले जाने का बेहतर परिणाम सामने आएगा। इसके बावजूद बाबा रामदेव और सिविल सोसायटी को अपनी सक्रियता बनाए रखने की जरूरत है, ताकि इस मुद्दे पर जनता की जागरूकता बढ़ती रहे और उसके परिणामस्वरूप सरकार पर दबाव भी बना रहे। संभवत: उससे ही इस गंभीर मसले का टिकाऊ हल निकल सकता है।
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