रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार, और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिए के आरज़ू क्या है ?
तो किस उम्मीद पे कहिए के आरज़ू क्या है ?
वो चीज़ जिसके लिए हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाय बादा-ए-गुल-फाम-ए-मुश्कबू क्या है ?
सिवाय बादा-ए-गुल-फाम-ए-मुश्कबू क्या है ?
रगों में दौड्ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है ?
जब आँख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है ?
जला है जिस्म जहां दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख, जूस्तजू क्या है ?
कुरेदते हो जो अब राख, जूस्तजू क्या है ?
हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है ?
तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है ?
तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है ?
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