रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे संवेदनशील जिले नारायणपुर में माओवादी छापामारों ने गुरूवार सुबह राज्य सशस्त्र पुलिस के एक कैंप पर हमला कर पांच जवानों को मार डाला। राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजे) रामनिवास के मुताबिक ये जवान झाराघाटी में हाल ही में स्थापित किए गए कैंप में तैनात थे। हमले के समय ये जवान कैंप के पास ही मौजूद थे।
पुलिस का कहना है कि माओवादी छापामारों ने गुरूवार सुबह करीब सात बजे अचाकन हमला कर दिया और जवानों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। इसमें जार जवानों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि एक घायल जवान की अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। हमलावर माओवादियों की संख्या कितनी थी अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि घटना में 150 से ज्यादा छापामार शामिल हो सकते हैं। हत्या के बाद माओवादी जवानों के हथियार भी लूट ले गए। माओवादियों की दृष्टि से झाराघाटी नारायणपुर जिले का सबसे संवेदनशील इलाका माना जाता है। राज्य सशस्त्र पुलिस बल का यह कैंप उस स़डक पर स्थित है जो नारायणपुर जिला मुख्यालय को अभझमाड से जो़डती है। पिछले साल इसी स़डक के किनारे माओवादियों ने घात लगाकर यहां से कुछ ही दूर पर धो़डाई में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 26 जवानों को मार दिया था। इस घटना के बाद झाराघाटी में अलग कैंप खोला गया था ताकि माओवादियों के हमले के मद्देनजर जवाबी कार्रवाई करने में आसानी रहे। अब इस इलाके में लगभग 750 वर्ग किलोमीटरका इलाका सेना के प्रशिक्षण केंद्र के लिए सरकार ने अधिग्रहीत करना शुरू कर दिया है। माओवादी सेना के इस प्रशिक्षण केंद्र का विरोध कर रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि माओवादी छापामारों ने गुरूवार सुबह करीब सात बजे अचाकन हमला कर दिया और जवानों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। इसमें जार जवानों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि एक घायल जवान की अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। हमलावर माओवादियों की संख्या कितनी थी अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि घटना में 150 से ज्यादा छापामार शामिल हो सकते हैं। हत्या के बाद माओवादी जवानों के हथियार भी लूट ले गए। माओवादियों की दृष्टि से झाराघाटी नारायणपुर जिले का सबसे संवेदनशील इलाका माना जाता है। राज्य सशस्त्र पुलिस बल का यह कैंप उस स़डक पर स्थित है जो नारायणपुर जिला मुख्यालय को अभझमाड से जो़डती है। पिछले साल इसी स़डक के किनारे माओवादियों ने घात लगाकर यहां से कुछ ही दूर पर धो़डाई में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 26 जवानों को मार दिया था। इस घटना के बाद झाराघाटी में अलग कैंप खोला गया था ताकि माओवादियों के हमले के मद्देनजर जवाबी कार्रवाई करने में आसानी रहे। अब इस इलाके में लगभग 750 वर्ग किलोमीटरका इलाका सेना के प्रशिक्षण केंद्र के लिए सरकार ने अधिग्रहीत करना शुरू कर दिया है। माओवादी सेना के इस प्रशिक्षण केंद्र का विरोध कर रहे हैं।
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