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06 अगस्त 2011

वफ़ा की राह में देखें , हमारा क्या ठिकाना है !!

दिया लेकर, भरी बरसात में, उस पार जाना है !
उधर पानी, इधर है आग, दोनों से निभाना है !!
करो कुछ बात गीली सी , ग़ज़ल छेड़ो पढो कविता !
किसी को याद करने का , बहुत अच्छा बहाना है !!
मेरा आईना भी मेरी, बहुत तारीफ करता है !
मुझे लगता है सोने से, इसे भी मुंह मढाना है !!
मुहब्बत की डगर सीधी , मगर दस्तूर उलटे है !
अगर चाहो इसे पाना ,तो फिर जी भर लुटाना है !!
ये मंज़र प्यार में तुमने , अभी देखे कहाँ होंगे !
 लिपटना है घटा से , प्यास, शबनम से बुझाना है !!
मुखौटे तोड़ने भी हैं , भरम जिंदा भी रखना है !
यहाँ पर कुफ्र है पीना , औ, लाजिम डगमगाना है !
ये आंसू भी तो स्वाँती, बूँद से कुछ कम नहीं मेरे !
संवर जाये तो मोती है , बिखर जाये फ़साना है !!
मेरी बेचारगी को माफ़ करना ऐ जहाँ वालो !
ये किस्सा है हसीनों का , मशीनों को सुनाना है !!
अभी तक तो नहीं पाई , किसी ने भी यहाँ मंजिल !
वफ़ा की राह में देखें , हमारा क्या ठिकाना है !!

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